Wednesday, November 30, 2016

रेवाड़ा बास में मुसलमानों पर हुये हमले की जाँच रिपोर्ट

अलवर जिला का नौगांव थाना क्षेत्र के रघुनाथगढ़ ग्राम पंचायत में खरका बास, रेवाड़ा बास, खैराती बास, बड़ा बास, तैलिया बास, किला माद्री, हाजी बास जैसे 12 बास हैं। इन 12 बास में अरावली पर्वत की गोद में बसा एक रेवाड़ा का बास है जो रघुनाथगढ़ ग्राम पंचायत का अंतिम गांव है। इसके बाद जंगल और अरावली की पर्वत श्रृंखला शुरू होती है। यहां पर अरावली पर्वतमाला राजस्थान और हरियाणा को विभाजित करता है। यह गांव राजस्थान प्रदेश के हिस्से में है लेकिन हरियाणा का मेवात कल्चर यहां का अभिन्न अंग है। गैर अधिकारिक तौर पर आमजन इसे मेवात ईलाके का हिस्सा मानते हैं। 15-16 सितम्बर, 2016 को अचानक रघुनाथगढ़ ग्राम पंचायत सुर्खियों में आ गया। 15 सितम्बर को समाचार चैनलों में समाचार आने लगे कि रेवाड़ा बास के जंगलों में 36 गायों के अवशेष मिले हैं। 16 सितम्बर को यह खबर समाचार पत्रों की सुर्खियां बन गईं। इस खबर को पढ़-सुनकर हमारा एक तथ्य अन्वेषण दल रेवाड़ा बास पहुंचा।

रेवाड़ा बास में साठ-सत्तर घर हैं। जब यह टीम रेवाड़ा बास पहुंची तो गांव में सन्नाटे का माहौल था। लोगों के चेहरे पर उदासी और खौफ का मंजर साफ दिख रहा था। गांव में कच्चे-पक्के छोटे-छोटे घर हैं। पीने के पानी के साधन के रूप में नल, कुंआ, बोर (बोरिंग) हैं। गांव में दो कमरों का एक प्राइमरी स्कूल है जिसमें दो टीचर हैं। शिक्षा का स्तर निम्न है। रेवाड़ा बास में एक भी सरकारी नौकरी वाला व्यक्ति नहीं है। आजीविका के मुख्य साधन खेती, पशुपालन और मजदूरी हैं। गांव में ड्राइवर की नौकरी करने वाले लोग भी हैं। जब रेवाड़ा बास वासियों को पता चला कि जांच टीम आई हुई है तो वे लोग इधर-उधर से भाग कर जांच दल के करीब पहुंचने लगे। उन लोगों ने अपने ऊपर हुई जुल्म की कहानी सुनाना शुरू किया तो लगा कि आज भी हम किसी लोकतांत्रिक देश के वासी नहीं हैं। उनकी कहानी सुन कर लगा कि भारत का जो कानून कहता है, ठीक उससे उल्ट हो रहा है। कानून यह कहता है कि सौ दोषी छूट जायें लेकिन एक निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिये, लेकिन ठीक उससे उल्ट एक-दो दोषियों को बचाने के लिए पूरे गांव के ऊपर जुल्म किया गया। इस गांव वालों पर हुये जुल्म को देखकर ऐसा लगता है कि भारत में शासन-प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं है। भारत किसी संविधान या कानून की तहत नहीं, कुछ लोगों एवं दलों के हुक्म से चल रहा है।

हमारे देश में अलग-अलग धर्मों के अलग-अलग त्यौहार होता है। अपने धर्म और मान्यताओं के अनुसार हम अपना त्यौहार मनाते हैं। इस्लाम में ईद और बकरीद बड़ा त्यौहार होता है जिस दिन भारत सरकार औपचारिक रूप से छुट्टी रखती है। इस्लाम धर्म के मानने वालों के लिये इन त्यौहारों का बेसब्री से इंतजार होता है। नये-नये कपड़े, सेवईयां, गोश्त इन त्यौहारों की पहचान होती है। रेवाड़ा बास में भी इस बकरीद की खुशी थी। लोग एक दूसरे को मुबारकबाद दे रहे थे। बच्चे ईद की खुशीयां में मस्त थे, पूरे दिन गांव में चहल-पहल थी। खुशियां दूसरे दिन भी चल रही थी। बहन बेटियां अपने परिवार से मिलने आई हुई थीं, नाते-रिश्तेदार भी इस खुशी में शरीक हो रहे थे। लेकिन उसी दिन 14 सितम्बर, 2016 की रात को गाय काटने वालों की तलाशी के नाम पर आस-पास के कई गांवों में दबीश दी गई और 12 लोगों को गाय काटने के इल्जाम में गिरफ्तार कर 19 सितम्बर तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया, जो अब जेल में हैं। गिरफ्तार व्यक्तियों में नूरा उर्फ नेर मोहम्मद (पूर्व सरपंच) पुत्र भोंदू, निवासी खड़का बास, शौकत पुत्र अयूब, हकमुद्दीन पुत्र नसीब, खुर्शीद पुत्र ममरेज और इरफान पुत्र नसीब निवासी सभी खैराती बास, जावेद पुत्र याकूब और राशिद पुत्र याकूब निवासी बड़ा बास, फकरूद्दीन पुत्र मम्मन निवासी तैलिया बास, आमीन पुत्र फजरू, निवासी रघुनाथगढ़, साजिद पुत्र मजीद, शीतल का बास, अल्ताफ पुत्र आजाद एवं शौकीन पुत्र इलियास, निवासी पाट खोरी, हरियाणा के रहने वाले हैं। गांव वालों का कहना है कि नूरा उर्फ नेर मोहम्मद (60 साल) को 15 तारीख को सुबह 4 बजे उनके घर से पुलिस लेकर गई। साजिद (24 साल) अपनी पत्नी को लेने आया हुआ था, गिरफ्तार व्यक्तियों में बड़ा बास का 16 साल का विक्लांग लड़का भी है। कुछ लोग दूसरे जगह से बकरीद की मुबारकबाद देने रिश्तेदारों के पास आये थे तो पुलिस ने रात में सोते वक्त उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस ने दूसरे दिन 15 सितम्बर को क्यूआरटी उपाधीक्षक परमाल सिंह गुर्जर के नेतृत्व में 150 अधिकारी व जवानों के साथ रेवाड़ा बास में दबिश दी। गांव वालों ने बताया कि पुलिस जवानों के साथ विधायक ज्ञानदेव आहूजा (यह वही विधायक है जिन्होंने जे एन यू आंदोलन के समय कंडोम और बड़ी, छोटी हड्डियों की संख्या बताई थी ) के साथ शिवसेना और हिन्दू संगठन के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता 200-250 की संख्या में रेवाड़ा बास पहुंचे। विधायक ज्ञानदेव आहूजा के स्पष्टीकरण से भी यह बात प्रमाणित होता है कि गांव में शिव सेना, हिन्दू संगठन के कार्यकर्ता पहुंचे थे। लोगों ने बताया कि आहूजा के साथ आये लोगो ने घरों में तोड़-फोड़ की। उन्होंने यह भी बताया कि ज्ञानदेव आहूजा के साथ आये लोग पीले गमछे गले मे डाले हुये थे। कुछ के हाथ में सरिया, डंडे और हथियार भी थे। उन लोगों ने पुलिस वालों के साथ मिलकर घरों में तोड़-फोड़ और लूट-पाट की। गांव की महिलाओं ने बताया कि ये पीले गमछे बांधे हुए लोग कह रहे थे कि गांव वालों के घरो को आग लगा दो, कोई भी बचने नहीं पाये।

जांच टीम ने पाया कि रेवाड़ा बास के सभी घरों में तोड़-फोड़ की गई है। घरों में जो भी सामान थे उसको नुकसान पहुंचाया गया है। यहां तक कि घरों के दरवाजे, खड़िया, चरपाई को तोड़ दिये गये हैं जिस चरपाई को नहीं तोड़ पाये हैं उनके रस्सी को काट दिया गया है। अनाज रखने वाले ट्रंक को कुल्हाड़ी या नुकीली चीजों से नुकसान पहुंचाया गया है। फ्रिज, पंखे, अलमारी, टीवी को तोड़ डाला गया है। खाने व पीने के बर्तन तोड़ दिये गए। यहां तक कि पशुओं की चारा काटने वाली मशीन को भी तोड़ दिया गया है, बोरवेल को तोड़ कर उसके अंदर ईंट पत्थर भर दिया गया है, अनाजों को मिक्स कर दिया गया है। जिन घरों में नई शादी हुई है उन घरों के समान को और ज्यादा तितर-बितर कर तलाशी ली गई है। गांव में करीब 4 घन्टे तक उत्पात मचाया गया है। कई लोगों ने बताया कि उनके घरों में रखे हुए जेवर और नकदी को लूट लिया गया। हमलावर अपने साथ पांच दुपहिया वाहन और अनीस नामक व्यक्ति का एक मिनी ट्रक भी उठाकर ले गई। जो लोग अपने मकानों पर ताला लगाकर भाग गए थे, इन हमलावरों ने वह ताले तोड़ दिये और जहां ताले तोड़ने में नाकाम रहे वहां दरवाजों को तोड़कर कमरे के अंदर घुस गये। हमलावरों ने गांव वालों के जानवर खोल दिये और दो बकरियों को मार दिया। यहां तक कि विक्लांग अफसाना (18 साल) जो कि भाग नहीं सकती थी, चरपाई पर लेटी हुई थी उसे पुलिस वालों ने सिर्फ इसलिए मारा और मुंह में डंडा दे दिया कि वह डर कर भागी क्यों नहीं।

गांव की सरहद पर पहला मकान उस्मान नाम के व्यक्ति का है। उस्मान की पत्नी शरीफन ने बताया कि उनके पति पलवल के पास रहकर मजदूरी करते हैं, आज ही बाहर से आये हुये हैं। उनकी दो बेटे और सात बेटियां हैं। शरीफन घर के आंगन में ही किराने की एक छोटी सी दुकान चला कर गुजारा करती हैं। शरीफन बताती हैं कि ‘‘रात में पुलिस ने आकर तोड़-फोड़ की फिर दूसरे दिन मुंछन वाली आये और पब्लिक आई- कहने लगी आग लगा दियो। वह बताती हैं कि पांच लाख का नुकसान हुआ है- आठ तोला सोना, दो किलो चांदी और दो भैंस खोल कर छोड़ दिये अभी तक मिली नहीं हैं दुकान में रखी चीजों को तोड़ दिया, घर का फ्रीज और समान तोड़ दिये। बोर को तोड़ दिया और पत्थर डाल दिया। बोर से खेती-बाड़ी, पशु के लिये पानी, पीने का पानी होता था। बोर लगाने में दो लाख रू. लग जाते हैं।’’

जैसे-जैसे हमारी जांच टीम गांव में आगे बढ़ रही थी तबाही का खौफनाक मन्जर हमें देखने को मिल रहा था। हर घर में तोड़-फोड़ के बाद बिखरा हुआ सामान अपनी कहानी खुद बयॉं कर रहा था।

गांव के युसुफ खेती का काम करते हैं, उनके पास 10-12 बीघा खेती की जमीन है। युसुफ ने बताया कि ‘‘12-1 बजे का समय था....... बजरंग दल वाले, शिव सेना वाले आये। उनके साथ कोबरा (काली वर्दी में पुलिस वाले को कोबरा वाले बता रहे थे) वाले थे और रामगढ़ का हमारा एमएलए साहब ज्ञानदेव आहूजा थे। मुबारिकपुर और नौगांवा से भी हिन्दू लोग आये- बोलेरो, शिफ्ट गाड़ी में 500-600 लोग आये। हम दूर से खड़े होकर देख रहे थे। पीली वर्दी पहने पांच बस से आये, हम यहां आते तो हमको भी मार देते। बकरियों को लाठी से मार रहे थे जिससे कई बकरियां मर गईं। पशुओं को रखने वाले था उसको गिरा दिया। अनाज तक नहीं छोड़ा, अनाज भी ले गया। कई घरों में खाना तक नहीं बना।’’

मोहम्मद इस्लाम के मकान में भीड़ ने सभी चारपाईयों को निशाना बनाया। घर में रखे खाने के बर्तन, चुल्हे और मटके फोड़ दिये गए कमरे में सालभर खाने के लिये रखे गए गेंहू की कोठियों पर कुल्हाड़ी से कई वार किये गए जिसके निशान हमारी जांच टीम ने देखे। इस्लाम की पत्नी जमीला के दो लड़के और एक लड़की हैं। एक हसली (गले का जेवर) दो तोला के, दुना (गले का जेवर) एक तोला के लेकर गये। जमीला बताती हैं कि ‘‘वह अब बाहर ही रहती हैं, डर से कि कोई मारने आ सकता है....... किसी के आने पर ही घर को आती है।’’

हारून उम्र 36 साल, गांव में खेती करते हैं। वह बताते हैं कि ‘‘गांव के सारे लोग किसान हैं, एक भी सरकारी नौकरी में नहीं है। जिसका नुकसान हुआ है, नजायज है। उस दिन के बाद पुलिस गांव में नहीं आई है। इस बास से किसी को गिरफ्तार नहीं किया है, अलग-अलग बास से गिरफ्तारी हुई है।

जुबेर, गफ्फार, व लियाकत तीनों भाई हैं। गांव के सबसे अंतिम छोर पर इनका घर हैं। जुबेर की पत्नी हसीना बताती हैं कि ‘‘जब दिन में पुलिस वाले आये तो वह खेत में बाजरा काट रही थी। घर पर उनकी बूढ़ी सास थी। पुलिस देखकर वह भागने लगी, कुछ दूर भागने के बाद वह खेत में गिर गई। वह बताती है कि घर के उनके दरवाजे, खुटी, बिजली के बोर्ड, सब तोड़ दिये। उनके घर के बर्तन भी तोड़ गये।’’ घर के ट्रंक को नुकीली वस्तु से छेद कर दिये थे जिसमें वह पुराने कपड़ा लगा-लगा कर अनाज को रखी थी। घर के मशीन, दरवाजे सब टूटे पड़े थे। यहां तक कि उनके पानी रखने के लिये जो घर से बाहर सीमेंट का बनाया हुआ था वह भी तोड़ दिये थे। पशुओं का चारा काटने वाली मशीन को भी तोड़ दिये। उनके घर के सामने का बरामदे टूट कर गिर गया था उनसे पूछने पर कि यह भी पुलिस वालों ने तोड़ा है तो उनका कहना था कि यह अपने-आप पहले ही गिर चुका है। वह घर के अन्दर ले जाकर सब समान दिखा रही थी और बता रही थी कि बच्चों को सोने के लिये खाट भी नहीं है, वह मांग कर खाट लाई है। एक मोटरसाईकिल, आठ तोला सोना और जुबेर का 15 हजार रू., गफ्फार का बीस हजार रू. और लियाकत के दस हजार रू. लेकर गये। लियाकत ने प्याज की खेती करने के लिये 35 हजार रू. ब्याज पर लिया था, जिसमें से 25 हजार रू. खेती में खर्च हो चुका था और दस हजार रू. बचा था। जुबेर ने भैंस बेचकर 15 हजार रू. तथा गफ्फार ट्रक चलाते है तो बकरीद के लिए बीस हजार रू. जो घर में रखा था, उसको पुलिस ले गई।

खालिद की पत्नी तस्लीमा ने हमारी जांच टीम को बताया कि वह हमलावरों के आने पर भागने में नाकाम रही पुलिस और उन्मादी ‘गौ रक्षकों’ ने उसे गन्दी-गन्दी गालियां दी, विरोध करने पर पुलिस ने उसे थप्पड़ मारे। हमलावरों खालिद की मोटर साईकिल को भी अपने साथ ले गये। इसी तरह की कहानी उस्मान की पत्नी बातुनी, शाऊन की पत्नी मुबीना, असीम की पत्नी जुबेदा ने सुनाई। आरिफ की पत्नी साजिदा तोड़-फोड़ के मामले में थोड़ी खुशकिस्मत रही। हमलावरां ने इनके घर में प्रवेश तो किया लेकिन वो सिर्फ जेवर व नकदी लेकर चले गये। घर में मौजूद किसी भी सामान को नहीं तोड़ा। साजिदा हमारी टीम को उसके भाई अली मोहम्मद उर्फ आली के मकान पर ले गई। आली अपनी पत्नी सहित इस हमले के बाद से गांव छोड चुके हैं। साजिदा ने बताया कि उसके भाई की पत्नी ने आठ दिन पहले ही एक बच्चे को जन्म दिया था,उस आठ दिन की मासूम जान और अपनी कमजोर पत्नी के साथ आली ताला लगाकर दूसरे गांव चले गये। हमारी जांच टीम ने खिड़की से जब उसके मकान में देखा तो उसका सारा सामान टूटी हुई हालत में पड़ा था। साजिदा ने बताया कि आली की पत्नी के जेवर भी हमलावरों ने लूट लिया। शमीम और सलीम दोनों अनाथ भाईयों की कुछ समय पूर्व ही शादी हुई थी। उन्मादी हमलावरों ने दोनों भाईयों के घरों को भी अपने गुस्से का निशाना बनाया। शादी में मिला नया गृहस्थी का सामान बुरी तरह से तोड़ दिया गया, जिसमें फ्रिज, आलमारी, पलंग, बर्तन इत्यादि टूटी हुई अवस्था में देखे गए। नई दुल्हन के जेवर भी ब्रिफकेस तोड़कर हमलावर ले गये। गांव के ही अनीस, जो पेशे से ड्राईवर हैं ने हमारी जांच टीम को बताया कि बकरीद होने की वजह से वह अपने मालिक का मिनी ट्रक टाटा 1109 गांव में ही ले आया था। भीड़ ने ट्रक के कांच तोड़कर ट्रक में प्रवेश किया और वह ट्रक को अपने साथ ले गई। हालांकी ट्रक मिल गया है, और पुलिस चैकी में खड़ा है।

उस्मान की पत्नी बातुनी बताती हैं कि जब घर का दरवाजा नहीं खुला तो कुल्हाड़ी से दरवाजा ही तोड़ दिया और 15000 रू. और दो तोला सोना व डेढ़ किलो चांदी ले गए। मुबीना का कच्चा घर है तो दीवार ही गिरा दिये और 20,000 रू. ले गये। उनके शौहर शाहिद बाहर भागे हुये हैं। लली शमीम की शादी को पांच महीने ही हुये थे, उनकी शादी का मिला सारा सामान तोड़ दिया। सामानों में कुल्हाड़ी से ऐसे वार किये गये कि सभी के टुकड़े-टुकड़े हो गए। उनकी बाईक भी उठा ले गए। जुबैदा का शौहर नहीं है। वे मध्याहन भोजन बनाकर अपना गुजारा करती हैं। उनके घर को तो तोड़ा ही, पैसा व जेवर न मिलने पर उसके बर्तन को भी तोड़ दिया।

शबनम को बोला कि तुम गोश्त खाती हो तेरा आदमी कहां है। उसे थप्पड़ मारा तो वह भागी तो उसे खींच लिया और गन्दी-गालियां देनी शुरू कर दी। उसका डेढ़ किलो चांदी व एक तौला सोना लूट कर ले गए। तीन साल के बच्चे फैजान को मारा, उसकी पीठ पर अभी तक घाव के निशान नहीं गए और मन से दहशत भी नहीं गई। हसीना, जिसके 15 दिन का बच्चा था, बहुत विनती की, मुझे छोड़ दो, मेरा शरीर का बच्चा है। फिर भी उसे मारा और घर में रखे 25000 रू. भी ले गये। इस गांव के सभी लोगों की यही कहानी बन चुकी है। लोगों के घर खाना बनाने के लिए बर्तन नहीं है, अनाज नहीं है। सभी लोग शाम होते ही जंगल चले जाते हैं, कुछ लकड़ियां इक्ट्ठा कर वहीं पर कुछ खा-पका लेते हैं और दहशत में सारी रात बिताते हैं।

याद मुहम्मद की उम्र 53 साल है। उनके तीन लड़के ट्रक चलाते हैं और वह खेती करते हैं। उनकी बेटी राहील बकरीद मनाने के लिये आई हुई थी, जिसकी शादी बंदोली में हुई है। उसके दो तोला सोना की हसली ले गये और याद मुहम्मद के घर से डेढ़ किलो चांदी लेकर गये। उनके घर की बर्तन, चरपाई को तोड़ दिया था। वह बताते हैं कि 14 की रात में पुलिस आई थी तो महिलाओं के साथ मार-पीट की जिससे वह भी डर कर भाग गई थी। याद मुहम्मद बताते हैं कि उनका राशन कार्ड भी लेकर चले गये।

17 सितम्बर को शिवसेना, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और भाजपा ने मुबारिकपुर में बंद कराया था जिससे बजार, दुकान बंद रहे तथा मुबारिकपुर में जुमे का नमाज तक अदा नहीं किया गया।

गांव वालों का कहना है कि :

Ø पुलिस की मिलीभगत से दो व्यक्ति- दीनदार उर्फ लंगडा निवासी रेवाड़ा बास और खुर्शीद उर्फ मुल्ला, निवासी बाघौरा थाना किशनगढ़ पुलिस की मिलीभगत से काफी समय से गाय, बछड़े, कटरा काट कर व्यापार करते थे। इसके लिए वे निजामुद्दीन और सुल्तान सिंह नाम के पुलिस वालों को बीस हजार रू. प्रति माह देते थे।

Ø पुलिस को जब गऊकशी की खबर मिली और वह छापेमारी की तैयारी कर रही थी तो यही पुलिस वालों ने फोन कर इन कसाईयों (दीनदार उर्फ लंगडा और खुर्शीद) को भगा दिया।

Ø पकड़े गये सभी लोग निर्दोष हैं, एक भी दोषी को नहीं पकड़ा गया, जब कि पुलिस वाले सही व्यक्ति को जानते हैं।

Ø रेवाडा बास के घरों में खाने-पीने का बर्तन नहीं हैं, घर के सभी सामान तोड़-फोड़ दिये गये हैं और नकदी व जेवरात लूट लिये गये हैं।

गांव वालों की मांग :

Ø बेकसूर लोगों को रिहा किया जाये।

Ø दोषियों को पकड़ा जाये।

Ø लोगों के हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाये।

पुलिस का बयान :

नौगावां थाना प्रभारी शिवराम गुर्जर ने बताया कि रेवाड़ा बास में गऊकशी की सूचना बुधवार (14 सितम्बर) को रात ग्यारह बजे मिली। पुलिस दल मौके पर पहुंची तो गऊकशी का कुछ अवशेष मिला। इस पर उच्च अधिकारियों को सूचना देकर जेसीबी से खुदाई कराई गई, जिसमें 36 अवशेष मिले। पुलिस ने मौके से दस लोगों को गिरफ्तार कर 6 गोवंश को मुक्त कराया। मौके से चाकू, तराजू व बाट, केंटरा गाड़ी और चार बाईक भी बरामद किया गया।

विधायक ज्ञान देव आहूजा का बयान :

गुरूवार (15 सितम्बर) को घटना स्थल पर गए सभी कार्यकर्ता अनुशासनिक तरीके से वापस आये। कार्यकर्ता व प्रशासन ने किसी भी घर में कोई तोड़-फोड़ नहीं की। पूर्व जिला प्रमुख खान के समर्थकों ने ही घरों में तोड़-फोड़ कर माहौल खराब करने का प्रयास किया है। मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को घटना से अवगत करा दिया गया है।

निष्कर्ष :

Ø रघुनाथगढ़ ग्राम पंचायत मुस्लिम बहुल है।

Ø यह कार्रवाई एक विशेष समुदाय को भयभीत करने के लिये की गई है।

Ø स्थानीय पुलिस की जानकारी में बीफ का कारोबार हो रहा था। जिसके लिये पुलिस को हर माह पैसा दिया जाता था।

Ø आपसी रंजिश के कारण बकरीद में गऊकशी की जानकारी शिवसेना, विश्व हिन्दू परिषद व बजरंग दल जैसे संगठनों को पहुंचाई गई।

Ø स्थानीय पुलिस ने उच्च अधिकारियों के दबाव में बेकसूर लोगों को पकड़कर अपने को पाक-साफ दिखाने की कोशिश की।

Ø घरों में लूट-पाट, तोड़-फोड़ का मकसद लोगों को अधिक से अधिक आर्थिक नुकसान पहुंचा कर उनके मन में भय पैदा करना और उनको पिछड़े बनाये रखना है, जो कि हमेशा एक विशेष सम्प्रदाय और जाति के लोगों के साथ किया जाता रहा है।

Ø घरो में तोड़-फोड़ पुलिस और शिवसेना, बजरंग दल व भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा विधायक ज्ञानदेव आहूजा की मौजूदगी में की गई।

Ø इस घटना से विरोधियों के मन में भय का माहौल पैदा हुआ है।

Ø रेवाड़ा बास में लूट-पाट, तोड़-फोड़ की कार्रवाई से लोगों की माली हालत कई साल पीछे चली गई है।

Ø रेहड़ा बास से गऊकशी की जगह करीब 4 कि.मी. दूर है। रास्ते मे रेत नाले हैं जहां बाईक जा नहीं सकती। पुलिस ने वहां से बाईक कैसे बरामद की? निश्चय ही 15 सितम्बर को यह बाईक गांव से उठाई गई है, जिसका लोगों ने अपनी बातों में जिक्र किया है।

Ø घटना स्थल इतना वीरान है कि पुलिस को वहां जाने के लिये पैदल दो से तीन किलोमीटर चलना पड़ेगा। अगर पुलिस इतनी दूर पैदल चलकर रात में वहां पहुंचती है तो लोग पुलिस को देखकर रूके रहेंगे? पुलिस ने दस लोगों को मौके से कैसे गिरफ्तार कर लिया?





मांगे :

Ø पूरे मामले की न्यायिक जांच कराई जाये।

Ø लोगों को हुए नुकसान का मुआवजा राज्य सरकार द्वारा दिया जाये।

Ø रघुनाथगढ़ ग्राम पंचायत के लोगों की जान-माल की सुरक्षा की जाये।

Ø दोषियों को पकड़ा जाये और गिरफ्तार बेकसूर लोगों पर लगाये गये मुकदमें वापस लिये जायें।

Ø लूट-पाट व तोड़-फोड़ में शामिल लोगों व पुलिस के जवानों, अधिकारियों पर केस दर्ज कराये जायें।

Ø विधायक ज्ञानदेव आहूजा की भूमिका की जांच की जाये।

Ø पैसा लेकर बीफ का कारोबार कराने वाले पुलिसकर्मियोंध्अधिकारियों को गिरफ्तार किया जाये।

सुझाव :

Ø साम्प्रदायिक माहौल को ठीक करने के लिये सद्भावना बैठकें कराई जायें।

Ø लोगों के मन से खौफ निकालने के लिये दोषियों पर कार्रवाई की जाये।

Ø लोगों को कानून के प्रति जागरूक किया जाये।

Ø गोरक्षा के नाम पर मुस्लिमों, दलितों पर हमला करने वाले संगठनों पर उचित कार्रवाई की जाये।

Ø न्यायपालिका व मानवाधिकार आयोग को खुद संज्ञान में इस मामले को लेना चाहिये।

Ø साम्प्रदायिक माहौल फैलाने वाले शक्तियों को अलग-थलग करना चाहिये।



जांच टीम के सदस्य :

अन्सार इन्दौरी, मोहम्मद तल्हा (एन.सी.एच.आर. ओ) सुनील कुमार (स्वतंत्र लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता), अशोक कुमारी (शोद्दार्थी, दिल्ली विश्वविद्यालय),



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